जेएल न्यूज / JL NEWS
11-06-2022
13 मई का दिन पूरे विश्व में फालुन दाफा अभ्यासियों के लिए एक विशेष महत्व रखता है। फालुन दाफा, जिसे फालुन गोंग भी कहा जाता है, मन और शरीर का एक उच्च स्तरीय साधना अभ्यास है जिसकी शुरुआत गुरु ली होंगज़ी द्वारा 13 मई, 1992 को चीन में की गयी थी। इस वर्ष दुनियाभर में फालुन दाफा की 30वीं सालगिरह मनाई जा रही है।
शिक्षाओं के अतिरिक्त, फालुन दाफा में पांच व्यायाम भी सिखाये जाते हैं जो गति में धीमे, सौम्य और ध्यान पर आधारित हैं। व्यायाम सीखने में सरल किन्तु प्रभावशाली हैं और पूरी तरह नि:शुल्क सिखाये जाते हैं। फालुन दाफा अभ्यास अक्सर बाहर पार्कों या सार्वजनिक स्थलों पर सिखाया जाता है।
फालुन दाफा और इसके संस्थापक, श्री ली होंगज़ी को, दुनियाभर में 1,500 से अधिक पुरस्कारों और प्रशस्तिपत्रों से नवाज़ा गया है। श्री ली होंगज़ी को नोबेल शांति पुरस्कार व स्वतंत्र विचारों के लिए सखारोव पुरस्कार के लिए भी मनोनीत किया जा चुका है।
फालुन दाफा भारत में
फालुन दाफा को भारत में सन 2000 से सिखाना आरम्भ किया गया। तब से, देश भर के अनेकों स्कूल और कॉलेजों में इस ध्यान अभ्यास को सिखाया गया है। कई बड़े संगठनों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों लिए फालुन दाफा की कार्यशालाएं आयोजित की हैं। मुंबई के अनेक फैशन मॉडल्स भी अपने भागदौड़ भरे जीवन में स्थिरता और तनावमुक्ति के लिए फालुन दाफा को अपना रहे है।
चीन में दमन
फालुन दाफा को पहली बार चीन में मई 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा सार्वजनिक किया गया। आज, जहाँ 100 देशों में 10 करोड़ से अधिक लोग इसका अभ्यास कर रहे हैं, दुःख की बात यह है कि चीन, जो फालुन दाफा की जन्म भूमि है, वहां 1999 से इसका दमन किया जा रहा है जो आज तक जारी है।
विश्व फालुन दाफा दिवस की गतिविधियाँ
दुनिया भर के फालुन दाफा अभ्यासी इस दिवस को गरिमापूर्वक मनाते हैं और रैलिओं, प्रदर्शनियों और सम्मेलनों का आयोजन करते हैं। भारत में भी विश्व फालुन दाफा दिवस की गतिविधियाँ एक सप्ताह पहले से ही आरम्भ हो गईं। इसके अभ्यासियों ने सार्वजनिक स्थानों पर एकत्रित होकर गुरु ली होंगज़ी का आभार व्यक्त किया और लोगों को अभ्यास सिखाये। बैंगलोर में 2 दिन की कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें लोगों को फालुन दाफा के बारे में जानकारी दी गयी और अभ्यास सिखाये गए।
विश्व फालुन दाफा दिवस के अवसर पर ऑन-लाइन वेबिनार से सीखे नये अभ्यासियों की अनुभव साझा कॉन्फेरेंस आयोजित की गयी जिसमे देशभर से नये अभ्यासियों ने भाग लिया और अपने अनुभव साझा किये। इस अवसर पर भारत के अभ्यासियों द्वारा गुरु ली होंगज़ी की ओर कृतज्ञता दिखाते हुए सोशल मीडिया पर एक विशेष विडियो भी रिलीज़ किया गया।
यदि आप भी इस अनोखे अभ्यास को सीखने के इच्छुक हैं तो www.learnfalungong.in पर इसके नि:शुल्क वेबिनार के लिए रजिस्टर कर सकते हैं। फालुन दाफा के बारे में अधिक अधिक जानकारी आप www.falundafaindia.org पर पा सकते हैं।