जेएल न्यूज / JL NEWS
करनाल(हरियाणा) / 04-09-2023
(रिपोर्ट – राजेंद्र कुमार)
भारतीय किसान यूनियन हरियाणा की मीटिंग किसान भवन अर्जुन नगर करनाल में हुई। आज की मीटिंग के अध्यक्षता सरदार अजीत ङ्क्षसह हाबड़ी, राष्ट्रीय सलाहकार ने की। आज की मीटिंग में मुख्य रूप से मुख्य सलाहकार राष्ट्रीय उपाध्याय सेवा सिंह आर्य एवं प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बलवन पाई शामिल रहे। मीटिंग में किसानों की समस्याओं पर गहनता से विचार-विमर्श किया गया और किसानों ने कहा है कि इस बार वर्षा की वजह से बहुत से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है जो नदियां हरियाणा से होकर गुजरी उन्होंने सभी जगह बाढ़ के रूप में उत्पात मचाया और किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया, जिससे किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं कुछ किसानों को तो धान को दो बार लगाना पड़ा, फिर भी पानी में बह गई इसलिए सरकार को चाहिए कि किसानों की ओर ध्यान देते हुए, दरियाओं के आसपास जिन किसानों की जमीन पानी में बह गई व उनके टूव्वैल व बिजली के कनैक्षन पानी की वजह से खत्म हो गए, उनको उचित मुआवजा दिया जाए।
किसनों ने कहा कि जिन किसानों के खेतों में रेत चढ़ गया है और उन किसानों के खेत ऊंचे-नीचे हो गए, उस रेत या मिट्टी को किसानों को उठाने की ईजाजत दी जाए। यदि सरकार खुद उसको उठाना चाहती है तो किसान को 50 हजार प्रति एकड़ किसान को ठेका दिया जाए, क्योंकि सरकार व ठेकेदार द्वारा ऐसी प्रक्रिया 1-2 साल तक चलती रहेगी और किसान फसल बोने से वंचित रह जायेगा, उस किसान को उचित मुआवजे के साथ-साथ रैंट दिया जाये। आगे किसानों ने कहा कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना पिछले 6 अगस्त से पोर्टल बंद है उस पोर्टल का चालु किया जाए ताकि किसान अपनी फसलो का पोर्टल कर सकें। किसानों ने यह भी कहा है कि आजादी से अब 70 साल हो चुके हैं लेकिन किसानों को उनकी फसलों के लागत के आधार पर लाभकारी मुल्य नहीं दिए गए। जिसकी वजह से वह दिन-प्रतिदिन आर्थिक स्थिति खराब होती चली जा रही है और दिन-रात मेहनत करने के बावजूद अधिक पैदावार करके भी कर्जे की दल-दल में फंस चुका है और यह कर्ज ना उतार पाने के कारण लगभग लाखों किसान हर वर्ष आत्म हत्याएं कर रहे हैं। एक तरफ तो भारत देश कृषि प्रधान कहलाता है और दुसरी तरफ फसल पैदा करने वाले किसान देश अन्दर आत्म हत्या कर रहे हों यह देश पर बहुत बड़ा कलंक है।
मीटिंग में किसानों ने यह भी मुद्दा उठाया कि जब किसानों की फसल पक कर तैयार होती है और मण्डियों में आने लगती है तब ही आढ़ती व व्यापारी हड़ताल करने लगते हैं। मीटिंग में कहा गया है कि आढ़ती भाई व व्यापारी सरकार से अपनी मांगे पहले ही मनवा लें, फसल आने के बाद हड़ताल न करें ताकि किसान अपनी फसलों को सही समय पर बेच सकें और सरकार भी उनकी मांगों पर समय से विचार करे। अब की बार फसल मण्डी में जल्दी आने की सम्भावना है, इसलिए सरकारी बोली 15 सितम्बर से शुरु की जाए ताकि किसी को किसी प्रकार का नुकसान ना हो और मण्डी की व्यवस्था, सडक़ों में सुधार, पानी आदि का इन्तजाम पहले ही करले। जो सरकार ने चावलों पर बैन लगाया है उस को तुरन्त खोल दिया जाना चाहिए। ताकि किसानों को भी कुछ लाभ मिल सके।
इस अवसर पर सेवा सिंह आर्य ने मांग करते हुए निम्नलिखित डिमांड रखी, 1 किसानों को फसलों के लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिए जाएं और एमएसपी की गारंटी कानून बनाया जाए ताकि इससे नीचे कोई व्यापारी सरकार ना खरीद सके। 2.बाढ़ से खराब हुई फसलों का रु. 50000 प्रति एकड़ दिया जाए, 3. जहां जहां नीचे एरिया में पानी खड़ा है उसके निकालने का प्रबंध किया जाए, 5. किसानों को कर्ज मुक्त किया जाए और आगे ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाए की।
मीटिंग में मुख्य रूप से सरदार अजीत सिंह हावड़ी राष्ट्रीय सलाहकार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सेवा सिंह आर्य, पालाराम कैथल, बलवान सिंह पाई कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष, गुरमीत सिंह, जिला प्रधान, सुख सिंह वरिष्ठ प्रधान, करतारा सिंह पाई, सरदार जीवन सिंह, मास्टर राम कुमार, ईशम सिंह संधू, नेकीराम, गुरलाल सिंह, राजेंद्र सिंह, धर्म सिंह, गुरमेल सिंह, कृष्ण लाल, प्रेमचंद, नाथीराम, बाबूराम प्रधान करनाल, जगदीश सिंह, निशांत सिंह, जोगिंदर सिंह, बलदेव सिंह, गुरबख्श सिंह हावड़ी, लखपत राय शास्त्री, दादूपुर, ईश्वर सिंह मोदी, ईशम सिंह, काबुल सिंह राजबीर गगसीना, रामेश्वर, पवन कुमार मराठा, मलखान सिंह, डॉ. मांगे राम, आदि किसान नेताओं ने भाग लिया